....मैयत में है शामिल मेरी यह मुझको सताने वाले....
...हो जायेंगे अब राख निशाँ कायनात बनाने वाले....
....दिल कि मिटटी से यह ...लब्जो को मिटाने वाले.....
...कुछ देर के मेहमान है यह ज़न्नत को मनाने वाले.....
Friday, December 14, 2007
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