Friday, December 17, 2010

mohobbat...

....लहरों की आह्ट से सहम जाते थे जो लोग....
...अब वोह बेखोफ तुफानो से टकराते है ...
....मयकदे की पनाहों में छुप   जाते थे कुछ लोग ...
..सुना है के अब होश में घर आते है....
....महफ़िलो में जिंदा थे जिनके होने के निशाँ ....
.....अब वोह लोगो में नज़र आते है .....
....ऐ खुदा  कैसी है इंसान की फिदरत....
......कुछ लोग मोहोब्बत से बदल जाते है....

Saturday, October 30, 2010

zinda....

मेरे जैसे और भी होंगे में तनहा तो नहीं .....
ज़िन्दगी तुझको जिया है मगर जिंदा तो नहीं.......
चुभता है लहू नब्ज़ में धड़कन से आज कल.....
दिल मेरा कही मुझसे शर्मिंदा तो नहीं .....

shayar...

...लिखता रहता हु शायरी तो दीवाना समझ लिया मुझको....
.....बैठा हु महफ़िल में तो शायराना समझ लिया मुझको ....
....आया हु मयकदे में तो शराबी समझ लिया मुझको....
......बिन पूछे  लोगो ने क्या क्या समझ लिया मुझको.... 

Saturday, July 31, 2010

basti....

...बस्ती में फिर से शोर है किसका गुमार फूटा है....
.....दीवानों की महफ़िल में खामोश है वोह रूठा है......
.....रूक रूक कर धड़कने देती है ज़िन्दगी  मुझको  ......
.......मयकदे में आज फिर पैमाना कोई टूटा है.....

Friday, July 30, 2010

khayal....

.....क्यों दर्द से रोये बिलखे ...ज़ज्बात ही तो है......
......कुछ पूरे कुछ अधूरे ....लेकिन  ख्वाब  ही तो है.....
......वह मेरा था कभी.....अनजान है अब  मुझसे.....
...यह मोहोब्बत भी आखिर ....एक ख्याल ही तो है......

Thursday, July 29, 2010

zakhm...

.....ज़िन्दगी के है ज़ख्म....और वक़्त का मरहम है......
....जलता हुआ दिल है .....और आँख का पानी है  .....
.....रूह कब तलक जिस्म के आचल में छुपेगी ......
.....कतरा कतरा लहू का ..जैसे तेज़ कटारी है ......

mera saaya....

.....मेरा साया ही मेरा दुश्मन है .........अंधेरे से है दोस्ती मेरी .....
....कुछ लोग तस्सवर में  आ गए देखो......मुझको रौशनी दिखलाने के लिए ..... 
...यूं तो मिलता नहीं सुकून  ज़माने को ....दर्द की महफ़िल में....
....दोस्त बन कर मिलते है ....दुश्मनी निभाने के लिए...
......कोई चिराग जला गया देखो .... मेरे साए को जगाने के लिए.......

...कुछ लोग तस्सवर में आ गए देखो.....मुझ को रौशनी दिखलाने के लिए .....

muqaddar .....

....देख कर मुझको मुक़द्दर भी सहम जाता है ......
....दिल  धडकता है जब आँखों में लहू आता है....
.......मेरी ज़िन्दगी है या रेत  का घरोंदा......
...में बनाता हु  आशना जब सागर में तूफ़ान आता है....

.....यूं ही जागा हु सदियों से  सोया नहीं हु मै ......
........नींद लगती है मुझे और ख्वाब बिखर जाता है .......
....गिनता रहता हु हर लम्हा वक़्त की विरासत है.....
.......सुकून आता है जब दर्द हद से गुज़र जाता है......

देख कर मुझको मुक़द्दर भी सहम जाता है .....
...दिल धड़कता है जब आँखों में लहू आता है ......

Tuesday, March 16, 2010

yaad....

....जिस ज़माने में कुछ लोग रूक गए चल  कर
....बेरहम मुक़द्दर की ठोकरों में बह जाने के लिए
...कुछ लम्हे आज भी उस मोड़ पर जिंदा है अभी ....
...जाने वालो को कोई राज़ बतलाने के लिए.......

.......जुगनू रातो में देता है रौशनी मुझको.....
...हिम्मत नहीं है चिरागों को जलाने के लिए ............
...कुछ ख्वाब धीरे से उठ गए देखो......
....में जिंदा हु ..मुझ को समझाने के लिए..............

Friday, January 22, 2010

falak...

.....दर्द जब मेरा हद से गुज़र जायेगा......फलक चुपके से आंसू बहायेगा......
......    देख कर तुम को ज़माने वालो ......वोह फिर से कायनात बनाएगा.......
.....गिला दुनिया से नहीं है होने को जुदा ...मेरा साया ही बाते बनाएगा .....
........बना के इंसान नयी रूह सही ...क्या  सीने में दिल फिर से लगाएगा.......
......खुदा इतना नादाँ नहीं....जो हर बार गलती दोहराएगा......
...................दर्द जब मेरा हद से गुज़र जायेगा......फलक चुपके से आंसू बहायेगा....

aag....

...लोग जब बस्तिया बसाया करते है....
...तूफ़ान कश्तियों को आजमाया  करते है.....
...फलसफा कुछ ऐसा है ऊपर वाले का.....
.....गैर नहीं अपने ही ...सताया करते है.....

.....ज़िन्दगी में जो आये नहीं ...करने दुवा-सलाम .....
...वोह रोज़ मेरी कब्र पर आया करते है .....

......हम कुछ इस तरह ...ज़िन्दगी बिताया करते है.....
.......आग से दिल की...खुद ही को जलाया करते है....... 

izhaar

.........चिरागों को रौशनी.....सितारों को पैगाम मिल गए........
...............कलियों ने सर उठाया   ...भवरों को नाम मिल गए...
.....घर से निकले थे .....कहने तुझे दिल की बात .......
......... कम्बक्त दर पर तेरे आशिक तमाम मिल गए .......

Thursday, January 21, 2010

nasoor...

...आईने अक्सों को क्या खूब समझते होंगे ...
...एक छोटी सी खरोच को नासूर समझते होंगे.....
.....देख कर मुझको तनहा ज़माने वाले .....
....... ...तुझको मेरा महबूब समझते होंगे......

aainey

....बादल  से आवारगी...हवाओ से पैगाम लिया करते है.....
.....सितारों से चांदनी .....निगाहों से जाम लिया करते है......
.......लोग कहते है  इंसान... करिश्मा कुदरत का है.......
........फिर क्यों  आईने ...अक्सों से इंतकाम लिया करते है......

Tuesday, January 19, 2010

baatein...

.....पीछे चल दिए सोच कर...की रात कहा जाती है.....
..........निकाह दर्द से है....और यह ..बारात कहा जाती है......
........तमाम उम्र लगी ...जान कर लोगो की यह फिदरत......
......साकी...तेरे कूचे से.... कायनात सिमट जाती है.....
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Friday, January 15, 2010

faasle

...खुद ही से हम अपने.....हाजत-रवा बने.......
...फज्र हो न हो लेकिन ....तारे शमा बने......
...फासले लाख सही फलक से ...ज़न्नातो में हो सरहद....
...जो तेरा हो वोह मेरा हो.....ऐसा खुदा बने.....
पाबन्द है ज़माने से .....दाद-ओ-दाहिश नज़रें.......
रातिब में आज मुझको....मिला क्या है.....
गाहे-बा-गाहे ज़िक्र ...अपना भी आ गया देखो.....
राज़-ओ-नियाज़ में...हम याद आये तो बुरा क्या है......

kafan

.....शाम को सुबह...सुबह को शाम समझ लिया होगा.....
....आँखों को मयकदा ...होठों को जाम समझ लिया होगा.......
.....में गुप-चुप खड़ा था राहों में ....किस्मत से परेशान समझ लिया होगा.....
.......देख कर मुझ को सोया हुवा.....लोगो  ने बस्ती को शमशान समझ लिया होगा.......

Thursday, January 14, 2010

zazbaat

...मोम के है ज़ज्बात ...पिघल जाते है ....
...दिल न संभले ...फिर भी हम संभल जाते है....
..शायराना मौसम में ऐ ग़ालिब....
.....दिल से कुछ अलफ़ाज़ निकल जाते है.....

phool

....यारो से न की यारी ...न फूलो से मोहब्बत.......
....हर बार ज़ख्म खाया जब की तेरी चाहत.......
...तुम ने किसी और को चुनना था चुन लिया......
....जो राज़ थे दिल में मेरे....उसे  तेरी  आँखों  से सुन लिया......
....होना नहीं है ठीक मोहोब्बत ज़माने में आज कल .....
....जो हुवे तेरे दर पर रुसवा  ...तो मयखानों को चुन लिया......


....यारो से न की यारी ...न फूलो से मोहब्बत.......
....हर बार ज़ख्म खाया जब की तेरी चाहत......

shabnam

...सेहर की धुप में ....मैंने जिसको खिलते देखा.....
....वक़्त के हाथो से ....आँचल को फिसलते देखा.....
...कुछ खुद से  कुछ ज़माने से सहमी है ...मोहोब्बत......
...तुझे गौर से देखा तो ज़िन्दगी...फिर मैंने कब आइना देखा.....
..गम मेरा ही कम नहीं.....जो दर्द का दरिया देखा.....
....दौलत की गहरी खायी मैं ...शबनम को लिपटते देखा.....
....जिंदा लोगो की भीड़ मैं ...मुर्दों का काफिला देखा .......

........ऐ खुदा तेरी कायनात मैं......क्या देखा क्या नहीं देखा.......
.....ज़िन्दगी की नीलामी मैं मेरी....लोगो ने फायदा देखा........