...बस्ती में फिर से शोर है किसका गुमार फूटा है....
.....दीवानों की महफ़िल में खामोश है वोह रूठा है......
.....रूक रूक कर धड़कने देती है ज़िन्दगी मुझको ......
.......मयकदे में आज फिर पैमाना कोई टूटा है.....
Saturday, July 31, 2010
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