Wednesday, December 30, 2009

........याद नहीं असलं... अरमानो के यह फूल कब खिले.......
......जो दोस्त थे रूठे से ...वोह ज़नाजे में आ मिले......
......गाहे बा गाही ज़िक्र अपना भी निकल आया होगा......
....जब नए  फनकारों ने.....कोई शेर  फ़रमाया होगा........