Tuesday, January 19, 2010

baatein...

.....पीछे चल दिए सोच कर...की रात कहा जाती है.....
..........निकाह दर्द से है....और यह ..बारात कहा जाती है......
........तमाम उम्र लगी ...जान कर लोगो की यह फिदरत......
......साकी...तेरे कूचे से.... कायनात सिमट जाती है.....
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