.....दर्द जब मेरा हद से गुज़र जायेगा......फलक चुपके से आंसू बहायेगा......
...... देख कर तुम को ज़माने वालो ......वोह फिर से कायनात बनाएगा.......
.....गिला दुनिया से नहीं है होने को जुदा ...मेरा साया ही बाते बनाएगा .....
........बना के इंसान नयी रूह सही ...क्या सीने में दिल फिर से लगाएगा.......
......खुदा इतना नादाँ नहीं....जो हर बार गलती दोहराएगा......
...................दर्द जब मेरा हद से गुज़र जायेगा......फलक चुपके से आंसू बहायेगा....
Friday, January 22, 2010
aag....
...लोग जब बस्तिया बसाया करते है....
...तूफ़ान कश्तियों को आजमाया करते है.....
...फलसफा कुछ ऐसा है ऊपर वाले का.....
.....गैर नहीं अपने ही ...सताया करते है.....
.....ज़िन्दगी में जो आये नहीं ...करने दुवा-सलाम .....
...वोह रोज़ मेरी कब्र पर आया करते है .....
......हम कुछ इस तरह ...ज़िन्दगी बिताया करते है.....
.......आग से दिल की...खुद ही को जलाया करते है.......
izhaar
.........चिरागों को रौशनी.....सितारों को पैगाम मिल गए........
...............कलियों ने सर उठाया ...भवरों को नाम मिल गए...
.....घर से निकले थे .....कहने तुझे दिल की बात .......
......... कम्बक्त दर पर तेरे आशिक तमाम मिल गए .......
...............कलियों ने सर उठाया ...भवरों को नाम मिल गए...
.....घर से निकले थे .....कहने तुझे दिल की बात .......
......... कम्बक्त दर पर तेरे आशिक तमाम मिल गए .......
Thursday, January 21, 2010
nasoor...
...आईने अक्सों को क्या खूब समझते होंगे ...
...एक छोटी सी खरोच को नासूर समझते होंगे.....
.....देख कर मुझको तनहा ज़माने वाले .....
....... ...तुझको मेरा महबूब समझते होंगे......
...एक छोटी सी खरोच को नासूर समझते होंगे.....
.....देख कर मुझको तनहा ज़माने वाले .....
....... ...तुझको मेरा महबूब समझते होंगे......
aainey
....बादल से आवारगी...हवाओ से पैगाम लिया करते है.....
.....सितारों से चांदनी .....निगाहों से जाम लिया करते है......
.......लोग कहते है इंसान... करिश्मा कुदरत का है.......
........फिर क्यों आईने ...अक्सों से इंतकाम लिया करते है......
.....सितारों से चांदनी .....निगाहों से जाम लिया करते है......
.......लोग कहते है इंसान... करिश्मा कुदरत का है.......
........फिर क्यों आईने ...अक्सों से इंतकाम लिया करते है......
Tuesday, January 19, 2010
baatein...
.....पीछे चल दिए सोच कर...की रात कहा जाती है.....
..........निकाह दर्द से है....और यह ..बारात कहा जाती है......
........तमाम उम्र लगी ...जान कर लोगो की यह फिदरत......
......साकी...तेरे कूचे से.... कायनात सिमट जाती है.....
.
..........निकाह दर्द से है....और यह ..बारात कहा जाती है......
........तमाम उम्र लगी ...जान कर लोगो की यह फिदरत......
......साकी...तेरे कूचे से.... कायनात सिमट जाती है.....
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Friday, January 15, 2010
faasle
...खुद ही से हम अपने.....हाजत-रवा बने.......
...फज्र हो न हो लेकिन ....तारे शमा बने......
...फासले लाख सही फलक से ...ज़न्नातो में हो सरहद....
...जो तेरा हो वोह मेरा हो.....ऐसा खुदा बने.....
...फज्र हो न हो लेकिन ....तारे शमा बने......
...फासले लाख सही फलक से ...ज़न्नातो में हो सरहद....
...जो तेरा हो वोह मेरा हो.....ऐसा खुदा बने.....
kafan
.....शाम को सुबह...सुबह को शाम समझ लिया होगा.....
....आँखों को मयकदा ...होठों को जाम समझ लिया होगा.......
.....में गुप-चुप खड़ा था राहों में ....किस्मत से परेशान समझ लिया होगा.....
.......देख कर मुझ को सोया हुवा.....लोगो ने बस्ती को शमशान समझ लिया होगा.......
....आँखों को मयकदा ...होठों को जाम समझ लिया होगा.......
.....में गुप-चुप खड़ा था राहों में ....किस्मत से परेशान समझ लिया होगा.....
.......देख कर मुझ को सोया हुवा.....लोगो ने बस्ती को शमशान समझ लिया होगा.......
Thursday, January 14, 2010
zazbaat
...मोम के है ज़ज्बात ...पिघल जाते है ....
...दिल न संभले ...फिर भी हम संभल जाते है....
..शायराना मौसम में ऐ ग़ालिब....
.....दिल से कुछ अलफ़ाज़ निकल जाते है.....
...दिल न संभले ...फिर भी हम संभल जाते है....
..शायराना मौसम में ऐ ग़ालिब....
.....दिल से कुछ अलफ़ाज़ निकल जाते है.....
phool
....यारो से न की यारी ...न फूलो से मोहब्बत.......
....हर बार ज़ख्म खाया जब की तेरी चाहत.......
...तुम ने किसी और को चुनना था चुन लिया......
....जो राज़ थे दिल में मेरे....उसे तेरी आँखों से सुन लिया......
....होना नहीं है ठीक मोहोब्बत ज़माने में आज कल .....
....जो हुवे तेरे दर पर रुसवा ...तो मयखानों को चुन लिया......
....हर बार ज़ख्म खाया जब की तेरी चाहत.......
...तुम ने किसी और को चुनना था चुन लिया......
....जो राज़ थे दिल में मेरे....उसे तेरी आँखों से सुन लिया......
....होना नहीं है ठीक मोहोब्बत ज़माने में आज कल .....
....जो हुवे तेरे दर पर रुसवा ...तो मयखानों को चुन लिया......
....यारो से न की यारी ...न फूलो से मोहब्बत.......
....हर बार ज़ख्म खाया जब की तेरी चाहत......
shabnam
...सेहर की धुप में ....मैंने जिसको खिलते देखा.....
....वक़्त के हाथो से ....आँचल को फिसलते देखा.....
...कुछ खुद से कुछ ज़माने से सहमी है ...मोहोब्बत......
...तुझे गौर से देखा तो ज़िन्दगी...फिर मैंने कब आइना देखा.....
..गम मेरा ही कम नहीं.....जो दर्द का दरिया देखा.....
....दौलत की गहरी खायी मैं ...शबनम को लिपटते देखा.....
....जिंदा लोगो की भीड़ मैं ...मुर्दों का काफिला देखा .......
........ऐ खुदा तेरी कायनात मैं......क्या देखा क्या नहीं देखा.......
.....ज़िन्दगी की नीलामी मैं मेरी....लोगो ने फायदा देखा........
....वक़्त के हाथो से ....आँचल को फिसलते देखा.....
...कुछ खुद से कुछ ज़माने से सहमी है ...मोहोब्बत......
...तुझे गौर से देखा तो ज़िन्दगी...फिर मैंने कब आइना देखा.....
..गम मेरा ही कम नहीं.....जो दर्द का दरिया देखा.....
....दौलत की गहरी खायी मैं ...शबनम को लिपटते देखा.....
....जिंदा लोगो की भीड़ मैं ...मुर्दों का काफिला देखा .......
........ऐ खुदा तेरी कायनात मैं......क्या देखा क्या नहीं देखा.......
.....ज़िन्दगी की नीलामी मैं मेरी....लोगो ने फायदा देखा........
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