Thursday, January 21, 2010

nasoor...

...आईने अक्सों को क्या खूब समझते होंगे ...
...एक छोटी सी खरोच को नासूर समझते होंगे.....
.....देख कर मुझको तनहा ज़माने वाले .....
....... ...तुझको मेरा महबूब समझते होंगे......

aainey

....बादल  से आवारगी...हवाओ से पैगाम लिया करते है.....
.....सितारों से चांदनी .....निगाहों से जाम लिया करते है......
.......लोग कहते है  इंसान... करिश्मा कुदरत का है.......
........फिर क्यों  आईने ...अक्सों से इंतकाम लिया करते है......