.....जब ढलता हुवा सूरज कायनात से घबराएगा.....
....रात के गहरे अंधेरो में वह चिरागों में नज़र आएगा ....
....जब हार के तकदीर से परवाना झुलस जायेगा ....
......आसमान नया रंग नए काफिले बनाएगा.....
.......होसला कर के इंसान जब तकदीर से टकराएगा .......
......... नया किस्सा..नया सवेरा...नया इतिहास बन जायेगा.....
Tuesday, January 11, 2011
hissa...
...आज ख्वाब में कुछ भूले-भूले से लोग नज़र आ गए
....मुझे फिर दीवानगी के दिन याद आ गए ..
...अब के बरस हवाएं गरम रही
.. मेरे हिस्से के बादल कहा छा गए....
....मुझे फिर दीवानगी के दिन याद आ गए ..
...अब के बरस हवाएं गरम रही
.. मेरे हिस्से के बादल कहा छा गए....
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