Saturday, October 30, 2010

zinda....

मेरे जैसे और भी होंगे में तनहा तो नहीं .....
ज़िन्दगी तुझको जिया है मगर जिंदा तो नहीं.......
चुभता है लहू नब्ज़ में धड़कन से आज कल.....
दिल मेरा कही मुझसे शर्मिंदा तो नहीं .....

shayar...

...लिखता रहता हु शायरी तो दीवाना समझ लिया मुझको....
.....बैठा हु महफ़िल में तो शायराना समझ लिया मुझको ....
....आया हु मयकदे में तो शराबी समझ लिया मुझको....
......बिन पूछे  लोगो ने क्या क्या समझ लिया मुझको....