....कुछ देख कर दैर तलक हस रहे थे लोग
..मैंने सोचा की जा कर तस्सली कर लू
......दीवाना कह कर ज़माने ने जो मारे थे पत्थर
........मैंने उसका ही एक महल सा बना रखा था
......मैंने सोचा की जा कर तस्सली कर लू
....कही जलता हुआ आशना मेरा तो नहीं
..मैंने सोचा की जा कर तस्सली कर लू
......दीवाना कह कर ज़माने ने जो मारे थे पत्थर
........मैंने उसका ही एक महल सा बना रखा था
......मैंने सोचा की जा कर तस्सली कर लू
....कही जलता हुआ आशना मेरा तो नहीं