Monday, November 26, 2012

....कुछ देख कर दैर  तलक हस  रहे थे लोग
..मैंने सोचा की जा कर तस्सली कर लू 
......दीवाना कह कर ज़माने ने जो मारे थे पत्थर 
........मैंने उसका ही एक महल सा बना रखा था 
......मैंने सोचा की जा कर तस्सली कर लू
....कही जलता हुआ  आशना मेरा तो नहीं  

Monday, February 20, 2012

..... कुछ लॉग कितने मजबूर हो जाते हैं ....
.... मोहब्बत की पनाहों से निकल कर भीड़ो में नज़र आते हैं ....
  .... कुछ उलझी हुवी नाकाम कहानिया कुछ भूले हुवे ख्वाब के मंज़र .....
....... ये सभी शीशे के पैमानों  में लिख  जाते हैं ....... ...... .
..... फिर देर रात मयकदे से निकल कर लोगो में गुम हो जाते हैं ...
 ........और किसी दौर के इंतज़ार में साखी  को जगा  जाते हैं ....... .....
.
.... बचपन में सो जाते  थें सुन कर अधूरी  कहानिया  ..... ......
........क्या लिखते  हुवे  उनकी किस्मत खुदा ने भी झपकी  ली है. ......
...... ये सोच कर पिला  देते हैं और खुद  प्यासे रह जाते हैं ..... .
.... अब मयकदे  के पैमाने  उनके  गवाहों  में नज़र आते हैं .....

 ..... कुछ लॉग कितने मजबूर  हो जाते हैं .... ..
.. मोहोब्बत  की पनाहों  से निकल कर भीडो  में नज़र आते हैं ....

Sunday, May 15, 2011

nishaan...

".....धुप के आँगन से वह किरणों के निशाँ ढूंढता है......
........नदियों की आवाजों से वह कुदरत की जुबान ढूंढता है ....
.......इंसान ने कायनात में बांधी है कुछ कमज़ोर लकीरे
...... क्या खुदा ज़न्नत में भी सरहद के निशाँ ढूंढता है........" 

Tuesday, January 11, 2011

aaftab...

.....जब ढलता हुवा सूरज कायनात से घबराएगा.....
....रात के गहरे अंधेरो में वह चिरागों में नज़र आएगा ....
....जब हार के तकदीर से परवाना झुलस जायेगा ....
......आसमान नया रंग नए काफिले बनाएगा.....
.......होसला कर के इंसान जब तकदीर से टकराएगा .......
......... नया किस्सा..नया सवेरा...नया इतिहास बन जायेगा.....

hissa...

...आज ख्वाब में कुछ भूले-भूले से लोग नज़र आ गए
....मुझे फिर दीवानगी के दिन याद आ गए ..
...अब के बरस हवाएं गरम रही
.. मेरे हिस्से के बादल  कहा छा गए....

Friday, December 17, 2010

mohobbat...

....लहरों की आह्ट से सहम जाते थे जो लोग....
...अब वोह बेखोफ तुफानो से टकराते है ...
....मयकदे की पनाहों में छुप   जाते थे कुछ लोग ...
..सुना है के अब होश में घर आते है....
....महफ़िलो में जिंदा थे जिनके होने के निशाँ ....
.....अब वोह लोगो में नज़र आते है .....
....ऐ खुदा  कैसी है इंसान की फिदरत....
......कुछ लोग मोहोब्बत से बदल जाते है....

Saturday, October 30, 2010

zinda....

मेरे जैसे और भी होंगे में तनहा तो नहीं .....
ज़िन्दगी तुझको जिया है मगर जिंदा तो नहीं.......
चुभता है लहू नब्ज़ में धड़कन से आज कल.....
दिल मेरा कही मुझसे शर्मिंदा तो नहीं .....