..... कुछ लॉग कितने मजबूर हो जाते हैं ....
.... मोहब्बत की पनाहों से निकल कर भीड़ो में नज़र आते हैं ....
.... कुछ उलझी हुवी नाकाम कहानिया कुछ भूले हुवे ख्वाब के मंज़र .....
....... ये सभी शीशे के पैमानों में लिख जाते हैं ....... ...... .
..... फिर देर रात मयकदे से निकल कर लोगो में गुम हो जाते हैं ...
........और किसी दौर के इंतज़ार में साखी को जगा जाते हैं ....... .....
.
.... बचपन में सो जाते थें सुन कर अधूरी कहानिया ..... ......
........क्या लिखते हुवे उनकी किस्मत खुदा ने भी झपकी ली है. ......
...... ये सोच कर पिला देते हैं और खुद प्यासे रह जाते हैं ..... .
.... अब मयकदे के पैमाने उनके गवाहों में नज़र आते हैं .....
..... कुछ लॉग कितने मजबूर हो जाते हैं .... ..
.. मोहोब्बत की पनाहों से निकल कर भीडो में नज़र आते हैं ....
.... मोहब्बत की पनाहों से निकल कर भीड़ो में नज़र आते हैं ....
.... कुछ उलझी हुवी नाकाम कहानिया कुछ भूले हुवे ख्वाब के मंज़र .....
....... ये सभी शीशे के पैमानों में लिख जाते हैं ....... ...... .
..... फिर देर रात मयकदे से निकल कर लोगो में गुम हो जाते हैं ...
........और किसी दौर के इंतज़ार में साखी को जगा जाते हैं ....... .....
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.... बचपन में सो जाते थें सुन कर अधूरी कहानिया ..... ......
........क्या लिखते हुवे उनकी किस्मत खुदा ने भी झपकी ली है. ......
...... ये सोच कर पिला देते हैं और खुद प्यासे रह जाते हैं ..... .
.... अब मयकदे के पैमाने उनके गवाहों में नज़र आते हैं .....
..... कुछ लॉग कितने मजबूर हो जाते हैं .... ..
.. मोहोब्बत की पनाहों से निकल कर भीडो में नज़र आते हैं ....
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