Tuesday, March 16, 2010

yaad....

....जिस ज़माने में कुछ लोग रूक गए चल  कर
....बेरहम मुक़द्दर की ठोकरों में बह जाने के लिए
...कुछ लम्हे आज भी उस मोड़ पर जिंदा है अभी ....
...जाने वालो को कोई राज़ बतलाने के लिए.......

.......जुगनू रातो में देता है रौशनी मुझको.....
...हिम्मत नहीं है चिरागों को जलाने के लिए ............
...कुछ ख्वाब धीरे से उठ गए देखो......
....में जिंदा हु ..मुझ को समझाने के लिए..............