...खुद ही से हम अपने.....हाजत-रवा बने.......
...फज्र हो न हो लेकिन ....तारे शमा बने......
...फासले लाख सही फलक से ...ज़न्नातो में हो सरहद....
...जो तेरा हो वोह मेरा हो.....ऐसा खुदा बने.....
Friday, January 15, 2010
kafan
.....शाम को सुबह...सुबह को शाम समझ लिया होगा.....
....आँखों को मयकदा ...होठों को जाम समझ लिया होगा.......
.....में गुप-चुप खड़ा था राहों में ....किस्मत से परेशान समझ लिया होगा.....
.......देख कर मुझ को सोया हुवा.....लोगो ने बस्ती को शमशान समझ लिया होगा.......
....आँखों को मयकदा ...होठों को जाम समझ लिया होगा.......
.....में गुप-चुप खड़ा था राहों में ....किस्मत से परेशान समझ लिया होगा.....
.......देख कर मुझ को सोया हुवा.....लोगो ने बस्ती को शमशान समझ लिया होगा.......
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